Monday 13 November 2017

"मुंबई" एक सपनो का शहर

भारत के नक्शे पर जो एक शहर भाया था मुझे,
नाम था "मुंबई" जो अपने आप खिंचे ले आया था मुझे ।।
-----
सुना है बहुत बारिश होती है मुंबई शहर में,
ज़्यादा भीगना मत।।

अगर धुल गयी सारी ग़लतफ़हमियाँ,
तो शिकायत करना मत ।।
------
मुंबई के ठण्ड का तो पता नहीं,
पर हवाएँ गर्म और ज़िस्म बे-लिबास था।।

मुंबई शहर के हर एक सक्श को,
इन सभी बातों का अहसास था।।
------
सुना है मुंबई को सभी कहते है सपनो का शहर,
जब रह कर देखा तो पता चला ये तो है अपनों का शहर।।
------
घूम गए मुंबई शहर में क्योकि कदमो कदमो पर थे देखने लायक है अच्छी जगह,
क्यों खिंचा ले आया मैं मुंबई बाद में पता चला असली और सच्ची वजह।।
------
ऐ शहर के वासियो, हम गाँव से आये हैं,
कुछ देखि सुनी बातो का पैगाम लाये हैं।।
------
शहर में थी रौशनी और कुछ अजीब सा था मंजर,
जब आयी काली रात फिर शहर भी दिखने लगा बंजर।।
------
खामोश था शहर और चीखती रही रातें,
सब चुप थे पर कहने को थे हजार बातें...!
------
शहर में कही खुले आम हो रही थी चोरियां,
और कही खुले आम छेड़ी जा रही थी छोरिया।।
------
कुछ देख रहे थे, कुछ देख कर भी अंजान थे,
हर जगह पड़ी थी लाशें, कदमो कदमो पर शमशान थे ।।
------
पूछा न जिंदगी में किसी ने भी दिल का हाल मेरा,
अब शहर भर में ज़िक्र मेरी खुदकुशी का है और यही है पहचान मेरा ।।
------
बैठता वहीं हूँ, जहाँ अपनेपन का अहसास है मुझको,
सपनो के शहर में मिलेंगे हजारो जिनपर होगा नाज तुझको ।।
-------
कुछ अजीब लोगों का बसेरा है, मुंबई शहर में,
गुरूर में मिट जाते हैं, मगर बात नहीं करते।।

यहाँ शान-ओ-शौकत तो बना लोगे,
क्या हिसाब दे पाओगे की कितने बनाये थे रिश्ते ।।
-------
जिस शहर की रगों में कोई भी नदी नहीं बहती है,
इसका परिणाम पूरा शहर सहती है।।
----------
पैसो के लिए भाग दौड़ भरी शहर का दिल से कोई रिश्ता नहीं होता,
उस शहर में पैसा कमाने के अलावा दिल जीतने वाला कोई फरिश्ता नहीं होता।।
----------
~आशुतोष ज. दुबे✍ (९६७३४७०७३७)

No comments:

Post a Comment