Friday 3 November 2017

सबसे बड़ा "नसीब"

ये मेरा है, वो तेरा है - क्यों करते हो प्यारे,
तू-तू मैं-मैं के आग में आज जल रहे है सारे।।

लाखो मेहनत के बाद भी अगर किस्मत सोता है,
तो मानले एक बात सबसे बड़ा तो नसीब ही होता है।।

जहाँ कोशिशों का कद बड़ा होता हैं,
वहाँ नसीबो को भी झुकना पड़ता हैं ।।

जिस मनुष्य ने इस बात को समझ लिया,
वह मनुष्य ही आगे बढ़ता है।।

जिस इंसान ने ये सोच लिया,
उसका नसीब अच्छा है, मेरा नसीब तो ख़राब है,
नसीब को कोसने वालो जरा झांक के देखलो आपके मन में ही पाप है ।।

नसीब कभी किसी के साथ भेद भाव नहीं करती,
नसीब जिसने खुद बनाया वहां नसीब भी आने से नहीं डरती ।।

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है,
औकात तो तुमने अपनी खुद बनायीं वरना मिटटी में बैठने के लिए भी नसीब लगती है ।।

अगर तुम सोचते हो वो तो बहोत अमीर है, पर वो बेचारा बहोत गरीब है,
मुरख इतना समझ गया पर ये न समझ पाया कि सबसे बड़ा तो नसीब है ।।

वरना आमिर तो वो भी होता है जिसे २ वक्त की रोटी भी खाने को समय नहीं होता है,
और गरीब तो वो भी होता है जो लाखो मेहनत कर २ रोटी खाने का उसे ही नसीब होता है ।।

जाते जाते फिर दोहराता हूँ,
जहाँ कोशिशों का कद बड़ा होता हैं,
वहाँ नसीबो को भी झुकना पड़ता हैं ।।

आशुतोष ज. दुबे ।।

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