जिंदगी में जरूरते तो बड़ी बड़ी है पर सामान्य जरुरत तो घर, कपडा और माकन है,
इन सब जरूरतों को मिटाने के लिए एक पैसा रुपया ही सबसे बड़ा जान है ।।
हम सब यहाँ मुसाफिर है और सबसे अमीर तो वो दानी है,
बस हमें चार दिन ही जीना है और यही जिंदगानी है ।।
लोगो ने क्या खूब कहा है, बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया!
अंतिम समय में ना काम आएंगे ये लोग ना काम आएगा ये रुपैया,
काम आएंगे तो अपने बाप और बड़े भैया ।।
इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है,
कल इतनी थी – आज इतनी बढ गयी ।।
ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है,
कल इतनी थीं – आज इतनी घट गयीं ।।
हुवे थे नाम वाले भी बे निशान कैसे कैसे,
पर जमी खा गयी नौ जवान कैसे कैसे ।।
अमिरी और रईसी से बस इतना पता चलता है कि, इंसान के पास कितना ज्यादा रुपैया है कितनी बड़ी दौलत है,
न की ये पता चलता है, वो कितना अच्छा इंसान है और उसका कितना बड़ा दिल है ।।
दुनिया में ९०% लोग अपना जीवन सिर्फ पैसे कमाने और आमिर बनने में लगा देते है,
उनमे से १०% लोग अपना जीवन सिर्फ कमाये हुवे पैसो से किसी जिंदगी अच्छी बनाने में लगा देते है ।।
अंतिम समय पर,
घर, जमीन, जेवर, दौलत, पैसा और रुपैया कुछ साथ नहीं जायेगा,
इंसान खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही जायेगा ।।
("इंसान" शब्द तो एक ही है पर लोग तरह तरह के है आप की जगह कहा है आप खुद निर्णय ले )
आशुतोष ज. दुबे
इन सब जरूरतों को मिटाने के लिए एक पैसा रुपया ही सबसे बड़ा जान है ।।
हम सब यहाँ मुसाफिर है और सबसे अमीर तो वो दानी है,
बस हमें चार दिन ही जीना है और यही जिंदगानी है ।।
लोगो ने क्या खूब कहा है, बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया!
अंतिम समय में ना काम आएंगे ये लोग ना काम आएगा ये रुपैया,
काम आएंगे तो अपने बाप और बड़े भैया ।।
इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है,
कल इतनी थी – आज इतनी बढ गयी ।।
ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है,
कल इतनी थीं – आज इतनी घट गयीं ।।
हुवे थे नाम वाले भी बे निशान कैसे कैसे,
पर जमी खा गयी नौ जवान कैसे कैसे ।।
अमिरी और रईसी से बस इतना पता चलता है कि, इंसान के पास कितना ज्यादा रुपैया है कितनी बड़ी दौलत है,
न की ये पता चलता है, वो कितना अच्छा इंसान है और उसका कितना बड़ा दिल है ।।
दुनिया में ९०% लोग अपना जीवन सिर्फ पैसे कमाने और आमिर बनने में लगा देते है,
उनमे से १०% लोग अपना जीवन सिर्फ कमाये हुवे पैसो से किसी जिंदगी अच्छी बनाने में लगा देते है ।।
अंतिम समय पर,
घर, जमीन, जेवर, दौलत, पैसा और रुपैया कुछ साथ नहीं जायेगा,
इंसान खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही जायेगा ।।
("इंसान" शब्द तो एक ही है पर लोग तरह तरह के है आप की जगह कहा है आप खुद निर्णय ले )
आशुतोष ज. दुबे
No comments:
Post a Comment