कभी कभी दुसरो को ख़ुशी देने में सबसे बड़ी खुशी चुपी होती है।।
यदि आप के चंद मीठे बोलों से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी रक्त दान हैं,
तो यु ही हमेशा रक्तदान कर दिया करो ।।
चंद लम्हो की है ज़िन्दगी बिन मांगे ही किसी ना किसी को ख़ुशी दे दिया करो।।
गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हे हमेशा,
यूं ही मुसाफिरों की तरह ।।
यादें वहीं खडी रह जाती हैं हमेशा,
रूके रास्तों की तरह ।।
फिर कुछ अपने पीछे छूट जाते है,
या कुछ हमें खुद पीछे छोड़ जाते है,
और जलती हुई दिया भी बुझ जाती है।।
एक उम्र के बाद - उस उम्र की बातें - उम्र भर याद आती हैं,
पर वह उम्र - फिर उम्र भर - नहीं आती है ।।
वसीयत में "यादों" के अलावा कुछ नहीं बचता,
फिर वही यादे याद आती है।।
इसलिए फिर से केहता हूँ,
चंद लम्हो की है ज़िन्दगी बिन मांगे ही किसी ना किसी को ख़ुशी दे दिया करो।।
यही सबसे बड़ा रक्तदान है,
बिना खून दिये महा रक्तदान दिया करो ।।
-आशुतोष ज. दुबे
(आप भी, कभी हंस भी लिया करो😃)
Verry well written , impressed, looking forwaed for many more to come ..
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