Tuesday 13 November 2018

बचपन जिन्दा हैं

एक जमाना था मम्मी सुबह डाँट डाँट कर उठाती थी,
आज मुझे अलार्म के सहारे उठना पड़ता है।।

एक जमाना था बहला फुसलाकर मम्मी अपने हाथों से खिलाती थी,
अब रोज खुद के हाथों से खाना पड़ता है।।

माँ बाप का प्यार तो अजर अमर है कम थोड़ी ना होता है,
हर इंसान बड़े होने के बाद वो बचपन का प्यार जरूर खोता है ।।

बचपन में मम्मी पापा चिल्ला दे तो उनकी बातें सुन हम रो पड़ते थे,
बड़े होते ही उनके चिल्लाते ही हम चिल्लादेते है,
अब वो रो पड़ते हैं।।

इंसान भले ही बड़ा हो जाये मगर बचपना कही नहीं जाती,
दिल बच्चा हो तो बचपन की याद भी नहीं आती।।

कभी खुद बच्चा बन वापस मम्मी पापा के सामने बच्चे बन जाया करो,
उनको खुशिया देकर खुद को भी खुश पाया करो ।।

~आशुतोष ज. दुबे

No comments:

Post a Comment