Wednesday 31 January 2018

मोहब्बत का हिसाब



जैसे रात सुबह का इंतज़ार नहीं करती,
वैसे प्यार जात किसी इंसान से नहीं डरती,

मोहब्बत तो होती ही ऐसा है,

मेरी कमजोरियों पर जब कोई हास्य करता है,
वो दुश्मन ही क्यों ना हो उससे मोहब्बत और बढ़ती है ।।

मोहब्बत में बिकने पर आ जाओ तो घट जाते है दाम अक्सर,
ना बिकने का इरादा हो तो किम्मत और बढ़ती है ।।

चले गए थे किम्मत लगाने मोहब्बत का,
बदले में जिल्लत भरे नफरत ले आये।।

जब तक मुझे एहसास होता मोहब्बत का,
तब तक पता चला दिल तो वही दे आये।।

हम चले थे मोहब्बत का हिसाब लगाने,

उन्होंने कहा हिसाब तो चीज़ों का होता है,
दो में से एक निकालो एक ही बचता है ।।

मोहब्बत का हिसाब अलग होता है जनाब,
दो में से एक को भी निकालो तो एक भी नहीं बचता ।।

~आशुतोष ज दुबे !!

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