Friday 22 June 2018

बाप

माँ पर तो सभी दो चार पंक्तिया लिखते है,
बाप पर कोई लिखे वो बहोत काम दीखते है।।

आखिर क्या होता है ये 'बाप' ?

बाप है तो घर का सारा व्यव्हार आसानी से चलता है,
घर का व्यवहार आसानी से चले इसलिए वो दिनभर धुप में जलता है ।।

माँ तो प्यार जता देती है,
बाप प्यार जता नहीं पाता,
प्यार तो बाप भी करता है,
बस वो आपको बता नहीं पाता ।।

बाप है तो माँ की चूड़ी, साड़ी, श्रृंगार और सुहाग है,
बाप ना हो तो माँ के टूटते उम्मीदों का जलता आग है ।।

बाप है तो रोटी, कपडा और मकान है,
उसका साथ ही बस खुशियो का दुकान है ।।

बाप है तो याद रखना बच्चो के सारे सपने अपने होते है,
सपने तो जिन्दा रेहते है पर बिना बाप सपने बस सपने होते है ।।

बाप है तो समाज और दुनिया भी हमें देखती है,
बाप ना हो तो गर्म तवे पर यही समाज हाथ सेकती है ।।

बाप का दर्जा ही अलग होता है इस ब्रह्मांड में,
बाप के वजह से हम है और सभी है इस संसार में ।।

बाप है तो बेटी की बिदाई पर रोने के लिए बाप का कन्धा है,
बाप के ना होने पर जो आँखे उनका एहसास ना कर पाए वो आँख भी अँधा है ।।

बाप एकमेव ऐसा रिश्ता और बंधन है जो छुटे नहीं छोड़ पायेगी,
नाम के आगे लगने वाला बाप का नाम, जिंदगी भर उनके होने का एहसास दिलाएगी ।।

बाप से है हम और है ये दुनिया सारी,
आप अपनी राय दे अब आप की बारी ।।

~आशुतोष ज. दुबे